Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा क्यों है खास? क्या है धार्मिक महत्व
Makar Sankranti 2023:नए साल की शुरुआत हो चुकी है और लोग नए साल में होने वाले त्योहारों को लेकर काफी उत्सुक नजर आ रहे हैं. इस वर्ष मकर संक्रांति रविवार, जनवरी को मनाई जाती है। देश के हर हिस्से में इसे अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। मकर संक्रांति को कभी खिचड़ी तो कभी तिल पवनी कहा जाता है इस दिन दही-चूड़ा और खिचड़ी खाने का विशेष महत्व है। खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में दही-चूड़ा बड़े चाव से खाया जाता है।
इस दिन तिलकुट के अलावा आम बोलचाल में गुड़ के लड्डू जिसे तिलवा भी कहा जाता है, इसके बिना त्योहार अधूरा माना जाता है. साथ ही दही का धार्मिक महत्व भी है। साथ ही हेल्दी नाश्ते में दही और चूड़ा भी शामिल किया गया है. तो आइए आज हम इस लेख में बताएंगे कि दही चूड़ा क्यों चढ़ाया जाता है .दही चूड़ा क्यों चढ़ाया जाता है: दही चूड़ा के साथ मकर संक्रांति का मुख्य भोजन तिलकुट और खिचड़ी है। इस दिन इसका सेवन करना बहुत ही शुभ होता है। यह सभी परेशानियों को दूर करता है ऐसा माना जाता है कि ताजा धान की कटाई के बाद, चावल पकाया जाता है और सबसे पहले दलिया के रूप में सूर्य भगवान को अर्पित किया जाता है।
इसके अलावा बिहार और उत्तर प्रदेश में दही चूड़ा सूर्य भगवान को चढ़ाया जाता है। इससे रिश्ता मजबूत होता है। दोस्तों और रिश्तेदारों को दही, चूड़ा और खिचड़ी दी जाती है, जिससे रिश्ते में आपसी प्यार बना रहता है। माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन दही और चूड़ा खाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है .दही चूड़ा के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं: दही चूड़ा सबसे हेल्दी स्नैक माना जाता है। दही पाचन क्रिया को सही रखने का काम करता है। सुबह इसे खाने से आपका पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है और आपको तुरंत ऊर्जा मिलती है। इससे शरीर में गर्मी बनी रहती है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी निजात मिलती है। दही से आपके शरीर का विषैलापन दूर हो जाता है।