India-Nepal Train : 8 साल के बाद आज शुरू हुआ भारत-नेपाल के बीच ट्रैन आवागमन,जानिए क्यों खास है ये ट्रेन सेवा
India-Nepal Train : भारत और नेपाल के बीच संबंध काफी पुराने समय से ही चलता रहा है। पड़ोसी राष्ट्रों में भारत का संबंध सबसे मधुर नेपाल के साथ ही है। दोनों राष्ट्रों की धार्मिक, सांस्कृतिक ,भाषाई तथा ऐतिहासिक चीजों में काफी समानता है। वर्ष 1950 में ही भारत और नेपाल ने अपने संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए शांति एवं मैत्री संधि कर ली थी जिसका नतीजा है कि आज तक इन दोनों देशों का संबंध प्रगतिशील दिशा में ही है।
हैदराबाद हाउस से वर्चुअल तरीके से झंडी दिखाकर शुरू की गई यात्रा वर्ष 2014 में जयनगर से जनकपुर के बीच ट्रेन का आवागमन बंद हो गया था। 2014 तक नेपाल नैरोगेज ट्रेन चला करती थी, लेकिन सफर लंबा और कोयले की खपत ज्यादा होने की वजह से ट्रेन परिचालन बंद कर दिया गया था। लेकिन आज 8 वर्षों के बाद फिर से भारत और नेपाल के बीच रेल सेवा शुरू हो गई है। इतने लंबे अंतराल के बाद आज दोपहर 12:30 जयनगर से ट्रेन चली जो कि 2:30 पर जनकपुर पहुंच गई। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस से वर्चुअल तरीके से हरी झंडी दिखाकर ट्रेन को चलवा । अब यात्रियों के लिए लगातार ट्रेन कल से चलनी शुरू हो जाएगी।
आम जन को ध्यान रखते हुए काफी किफायती रखा गया है ट्रैन किराया भारत से नेपाल जाने का किराया भी काफी किफायती रखा गया है। जयनगर से इनरवा का किराया 12.50 पैसे तो खजूरी के लिए ₹15.60 पैसा वहीं वैदेही जाने के लिए ₹28.125 पैसा तथा जनकपुर के लिए ₹43.75 पैसा और कुर्था जाने के लिए 56.25 पैसा ही किराया रखा गया है। भारत-नेपाल के बीच बनी इस रेलवे लाइन का निर्माण 800 करोड़ की लागत से हुआ है। जयनगर से जनकपुर की दूरी सिर्फ 29 किलोमीटर है, जिसे लगभग डेढ़ घंटे में ही पूरा कर लिया जाएगा।
माता सीता के विवाह स्थल का दर्शन करने में हो सकेगी सुविधा भारत-नेपाल सीमा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित जनकपुर माता सीता की जन्म स्थली होने की वजह से हिंदुओं के लिए काफी प्रेम और श्रद्धा का धार्मिक स्थल है। जनकपुर में संगमरमर का भव्य मंदिर है, जिसे नौलखा मंदिर के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नेपाल यात्रा के क्रम में इस मंदिर में पूजा भी की थी। ऐसी मान्यता है कि यही वह मंदिर है जहां पर वह विवाह मंडप स्थापित किया गया था जिसके नीचे माता सीता और प्रभु श्री राम का विवाह संपन्न हुआ था। धार्मिक स्थल होने की वजह से हिंदुओं की असीम आस्था यहां पर है। रामनवमी व विवाह पंचमी के दिन यहां पर काफी भीड़ इकट्ठा होती है। अब ट्रेन आवागमन की शुरुआत हो जाने के बाद से श्रद्धालुओं को आवागमन में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी और काफी कम समय में और किफायती भाड़े से आसानी के साथ दर्शन कर सकेंगे।